नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू करने के मामले में उत्तराखंड सरकार अन्य राज्यों की तुलना में जल्द पहल कर सकती है। हालांकि इससे पहले केंद्र सरकार से अनुमति ली जाएगी।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को देश में शिक्षा की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव के लिहाज से क्रांतिकारी माना जा रहा है। प्राथमिक से लेकर उच्च स्तर तक शिक्षा में मौजूदा और व्यावहारिक जरूरतों को नई नीति का अंग बनाया गया है। नई नीति से शिक्षा क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव तय है। ऐसे में राज्यों में इस पर अमल को लेकर हिचक हो सकती है। भाजपाशासित उत्तराखंड राज्य एनईपी को लेकर गंभीरता से काम कर रहा है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हाल ही में प्रदेश में एनईपी के क्रियान्वयन को लेकर टास्क फोर्स के गठन पर मुहर लगाई है।
यह टास्क फोर्स नई नीति के मुताबिक जरूरी बदलावों का अध्ययन करेगी। फिर इन्हें लागू करने की राह भी सुझाएगी। इसमें प्राथमिक स्तर पर भी शिक्षा की पहुंच बढ़ाने और उसकी गुणवत्ता पर ध्यान दिया गया है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय का कहना है कि नई नीति में आंगनबाड़ी केंद्रों और प्राथमिक स्कूलों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने की कोशिश की गई है। इसका फायदा भविष्य में मिलेगा। वहीं उच्च शिक्षा में भी एनईपी के क्रियान्वयन को लेकर उच्च शिक्षा सलाहकार डॉ एमएसएम रावत के नेतृत्व में 40 सदस्यीय समिति गठित की गई है। समिति ने एनईपी पर प्रारंभिक रिपोर्ट दी है, लेकिन प्रदेश सरकार समिति की पूरी रिपोर्ट मिलने का इंतजार भी कर रही है।
कुलाधिपति एवं राज्यपाल बेबी रानी मौर्य की ओर से भी एनईपी पर राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का फीडबैक लिया गया है। राज्यपाल यह कह चुकी हैं कि कुलपतियों के सुझावों से एनईपी को जनहितकारी और सर्वस्वीकृत कराने में मदद मिलेगी।
राज्य विश्वविद्यालयों की ओर से एनईपी को लेकर उच्च शिक्षा आयोग के गठन की मांग की जा रही है। भरसार विश्वविद्यालय व दून विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एके कर्नाटक का कहना है कि नई नीति के मुताबिक सभी विश्वविद्यालयों को अपने पाठ्यक्रमों को परिवर्तित करना होगा। लिहाजा उच्च शिक्षा आयोग का गठन होना चाहिए। कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एनके जोशी ने नई नीति में इंटर्नशिप व प्रेक्टिकल एप्लीकेशंस ऑफ नॉलेज को बढ़ावा देने के पैरोकार हैं। सभी पाठ्यक्रमों में प्रत्येक सेमेस्टर में इंटर्नशिप या प्रोजेक्ट वर्क को शामिल किया जाना चाहिए।
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीपी ध्यानी का कहना है कि दूरस्थ क्षेत्रों में नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध कराना आवश्यक है। इस संबंध में सभी विश्वविद्यालयों के लिए समान नियम बनने चाहिए। मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो ओपीएस नेगी ने कहा कि नई शिक्षा नीति में मुक्त विश्वविद्यालयों की भूमिका का उल्लेख नहीं किया गया है।
उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि एनईपी के क्रियान्वयन को लेकर सरकार गंभीर है। प्रदेश में उक्त नीति लागू करने के लिए विस्तृत अध्ययन किया जा रहा है। अध्ययन के साथ शोध को भी बढ़ावा दिया जा सकेगा। विद्यालयी शिक्षा और उच्च शिक्षा से मिलने वाली रिपोर्ट को मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा। गौरतलब है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा नई नीति लागू करने के संबंध में भाजपा शासित राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के साथ बैठक कर चुके हैं।