हरिद्वार। उत्तराखंड में महिला हाकी को बढ़ावा देने को लेकर भारतीय महिला हाकी खिलाड़ी वंदना कटारिया ने हाकी इंडिया और सरकार से सहयोग की अपील की है। वंदना ने बताया कि हरिद्वार में एस्ट्रो टर्फ बिछाने का काम तेजी से चल रहा है। काम पूरा होने के बाद वह महिला हाकी खिलाड़ियों को निखारने का काम करेंगी।
टोक्यो ओलिंपिक में हैट्रिक लगाकर लौटी वंदना कटारिया ने कहा कि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपनी मेहनत और लगन से आगे बढ़कर हाकी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को साबित किया। उस वक्त उत्तराखंड में हाकी के लिए न तो ढंग का मैदान था और न ही कोई कोच। स्टेडियम और स्पोट्र्स कालेज की बात तो दूर की कौड़ी थी। घर की आर्थिक स्थिति भी इतनी मजबूत नहीं थी कि अपने स्तर से संसाधन खुद जुटा सकें। परिस्थिति ऐसी थी कि वो दो बहनें एक ही हाकी स्टिक से प्रैक्टिस किया करती थीं। बावजूद इसके उन्होंने तंगहाली में भी अपने जुनून को कायम रखा और अपने हुनर को तराशती रही।
वंदना बताती हैं, उन्होंने जब हाकी खेलना शुरू किया था तो घर की माली हालत अच्छी नहीं थी। दाखिले से लेकर जूते और हाकी स्टिक तक के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे। मां सोरण देवी बताती हैं, उन्होंने और वंदना के स्वर्गीय पिता नाहर सिंह ने बेटियों के जुनून को देखते हुए अभाव में रहकर उनकी हर जरूरत पूरी की। उनके इस त्याग का परिणाम है कि आज वंदना विश्वस्तर पर किसी पहचान को मोहताज नहीं है। यही वजह है कि कभी एक जोड़ी जूते और हाकी स्टिक को मोहताज वंदना चाहती हैं कि जो दिन उन्होंने देखे, वह किसी और को न देखना पड़े। यही वजह है कि वंदना प्रदेश की प्रतिभाओं को निखारने पर विचार कर रही हैं। वंदना ने कहा कि हरिद्वार में एस्ट्रो टर्फ बिछने के बाद हरिद्वार सहित उत्तराखंड की हाकी प्रतिभाओं को निखरने का मौका मिलेगा। उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर के हाकी के खेल का अनुभव मिलेगा। क्योंकि आज विश्व में कहीं भी प्राकृतिक घास के मैदान पर हाकी नहीं खेली जाती। कहा कि मैदान तैयार हो जाने के बाद वह आगे की योजना पर काम करेंगी। फिलहाल उनका सारा ध्यान विश्व कप सहित आगे की खेल प्रतियोगिताओं पर है।