नई दिल्ली, 70 साल में पहली बार भारत ने चीन को लेकर रुख बदला है। अब तक चीन की आक्रामकता के खिलाफ अपनी बचाव वाली मुद्रा को ही ढाल बनाकर चलने वाला भारत अब उससे नजरें मिलाकर खड़ा है। यह बदला हुआ नया भारत किसी भी परिस्थिति में पलटवार के लिए सैन्य विकल्पों पर विचार कर रहा है। हाल में चीन से लगी सीमा पर 50,000 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की गई है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुल तैनात सैनिकों की संख्या दो लाख हो गई है, जो पिछले साल के मुकाबले 40 फीसद ज्यादा है। हाल में तिब्बत में चीन की ओर से अपने मौजूदा एयर फील्ड को मजबूत करने की कोशिशों को देखते हुए भारत की तैयारी और भी मायने रखती है।
सीमा पर बदलती तस्वीर
-पाकिस्तान से लगी पश्चिमी सीमा पर जिम्मेदारी संभालने वाली मथुरा की 1-स्ट्राइक कॉर्प्स को चीन सीमा पर तैनात किया गया।
-हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से लगे और कम विवादित माने जाने वाले सेंट्रल सेक्टर पर भी कम से एक डिवीजन तैनात है। एक डिवीजन में कम से कम 10,000 सैनिक होते हैं।
-पानागढ़ की माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स को सीमा के ईस्टर्न सेक्टर पर तैनात किया गया है।
-ब्रह्मास्त्र कॉर्प्स कही जाने वाले सत्रहवीं माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स को ईस्टर्न सेक्टर पर तैनाती के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर पलटवार करने की जिम्मेदारी दी गई है।
हर मोर्चे पर रहेंगे जवान
नई तैनाती से पाकिस्तान की सीमा पर तैनात रहने वाले जवानों की तादाद कम होगी, लेकिन ऐसे जवानों की तादाद बढ़ेगी, जो जरूरत के मुताबिक, उत्तर से पश्चिम तक की सीमा पर पहुंच सकेंगे।
माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स को मिलेगी मजबूती
पहाड़ों पर हमले में सक्षम माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स को करीब एक दशक पहले सरकार की ओर से मंजूरी मिल गई थी, लेकिन अब तक इसमें केवल एक ही डिवीजन थी। अब सरकार इसे मजबूती देने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है।