विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उन देशों पर कड़ी आपत्ति जताई है जहां व्यापक स्तर पर टीकाकरण किया जा रहा है और इसकी वजह से वहां पर पाबंदियां हटाई जा रही हैं। संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने इस पर चिंता जताते हुए कहा है कि एक तरफ वैक्सीनेशन में अग्रणी रहने वाले देश अपने यहां पर कोरोना संबंध पाबंदियां हटा रहे हैं वहीं दूसरी तरह कई देशों में हालात लगातार खतरनाक बने हुए हैं। उनके मुताबिक कई तरह की परेशानियों की वजह से इन देशों में कोरोना महामारी का प्रभाव लगातार जारी है। ऐसे में वायरस के बदलते रूप के उभरने का भी जोखिम काफी बढ़ जाता है। ये अब के उपचार को भी बेअसर कर सकता है।
महानिदेशक घेबरेयेसस ने एक पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि वैक्सीन का असमान वितरण सिर्फ उनके लिए समस्या नहीं है जहां पर इनकी उपलब्धता कम या बिल्कुल नहीं है। संगठन के मुताबिक संक्रमण से मरने वालों की संख्या में बीते छह सप्ताह के दौरान कमी आई है। उनके मुताबिक ये संकेत काफी अच्छे है लेकिन कुछ देशों में कोविड से मरने वालों की संख्या में तेजी भी आई है। इनमें अफ्रीका, अमेरिकी और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र शामिल है। उनका कहना है कि कई देशों में अब भी महामारी के हालात अच्छे नहीं हैं। डॉक्टर गुटारेस ने आगाह किया है कि वायरस के बदलते प्रकारों के मद्देनजर पाबंदियों को हटाने में सावधानी अधिक रखनी होगी। ये फैसला उन लोगों के लिए घातक हो सकता है जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है।
इस पत्रकार वार्ता में उन्होंने बताया कि अब तक धनी देशों में 44 फीसद आबादी को वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी है जबकि गरीब देशों में ये केवल 0.4 फीसद ही है। उन्होंने अमीर देशों से एक बार फिर से अपील की है कि वो अपने यहां पर मौजूद वैक्सीन की अतिरिक्त खुराक को दान में देने की अपील की है। उनका कहना है कि संगठन सभी देशों को न्यायसंगत तरीके से वैक्सीन उपलब्ध करवाना चाहता है। संगठन प्रमुख ने अपील की है कि सितंबर 2020 तक 10 फीसद वैश्विक आबादी को कम से कम टीका लग जाए। दिसंबर में इसको 30 फीसद किया जाएगा। हालांकि सितंबर के लक्ष्य को पाने के लिए 25 करोड़ अतिरिक्त खुराक की जरूरत होगी।