त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा- कोरोना वायरस एक प्राणी, उसे भी जीने का हक

देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का एक बयान गुरुवार को इंटरनेट मीडिया में तेजी से वायरल हुआ। इसमें वह कह रहे हैं कि कोरोना भी एक प्राणी है, उसे भी जीने का अधिकार है। हमें वायरस से दूरी बनाते हुए तेजी से चलना होगा, ताकि वह पीछे रह जाए। हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि यह एक दार्शनिक पक्ष है।

गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का यह बयान खासी चर्चा में रहा। दरअसल, उनसे कोरोना संक्रमण के संबंध में एक सवाल किया गया था। उन्होंने जवाब दिया कि कोई नहीं कह सकता है कि आगे क्या स्थिति क्या होगी। जब वह दिल्ली से इलाज करा कर लौट रहे थे, तब भी उन्होंने मीडिया से कहा था कि एक दार्शनिक पक्ष यह है कि वायरस भी एक प्राणी है। हम भी एक प्राणी हैं, हम अपने आपको ज्यादा बुद्धिमान समझते हैं। वह प्राणी भी जीना चाहता है, उसे भी जीने का अधिकार है। हम उसके पीछे लगे हुए हैं। वह बचने के लिए रूप बदल रहा है और बहरूपिया हो गया है। इसलिए हमें इस वायरस से दूरी बना कर चलना पड़ेगा। वह भी चलता रहे, हम भी चलते रहें। हमें अपनी चाल तेज रखनी होगी, ताकि हम उस वायरस से आगे निकल सकें।

महाराज ने डाप्लर राडार पर उठाए सवाल

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने गढ़वाल व कुमाऊं में लगे डाप्लर राडार की क्रियाशीलता पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में गढ़वाल व कुमाऊं में बादल फटने की घटनाओं की जानकारी न मिलने से ऐसा प्रतीत होता है कि डाप्लर राडार क्रियाशील नहीं हैं। उन्होंने निदेशक मौसम विभाग को पत्र लिखकर इनकी क्रियाशीलता की जानकारी देने को कहा है। प्रदेश में बीते दिनों उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग और फिर नैनीताल के कैंची धाम में बादल फटने की घटना पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने दुख जताया है।

उन्होंने कहा कि डाप्लर राडार आपदा फटने जैसी पूर्व आपदा के संकेत देने में सक्षम होते हैं, ताकि समय रहते राहत व बचाव कार्य किया जा सके। वर्तमान में हुई घटनाओं को देखते हुए ऐसा लगता है कि ये क्रियाशील नहीं हैं। ऐसे में निदेशक मौसम विभाग से इसकी क्रियाशीलता के बारे में पूछा गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र के सहयोग से गढ़वाल व कुमाऊं क्षेत्र में लगाए गए डाप्लर राडार से ऐसी घटनाओं की सूचना के संकलन की व्यवस्था को और मजबूत किया जाएगा, जिससे प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।

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