उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने 2013 की केदारनाथ आपदा में भी आदि शंकराचार्य की समाधि का 2018 के आदेश के बाद भी पुनर्निर्माण नहीं करने को बेहद गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश देते हुए कहा कि क्यों ना सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाय।
दिल्ली निवासी अजय गौतम ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि 2013 की केदारनाथ आपदा में आदि शंकराचार्य की समाधि बह गई थी, मगर आज तक सरकार द्वारा इस समाधि का पुनर्निर्माण नहीं किया जबकि 2018 में हाईकोर्ट ने आदेश पारित कर एक साल के भीतर समाधि का परंपरानुसार पुनर्निर्माण करने का आदेश पारित किया था।
याचिकाकर्ता के अनुसार आदि शंकराचार्य ने ही सन्यास के साथ कुंभ की परंपरा शुरू की। केदारनाथ धाम के साथ ही चार पीठों की स्थापना की मगर देवभूमि की सरकार उनकी समाधि तक का पुनर्निर्माण नहीं कर पा रही है। आज तक समाधि की एक दीवाल तक नहीं बनाई गई। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि सन्यासियों के लिये केदारनाथ मंदिर की तरह ही आदि शंकराचार्य के प्रति आस्था है।
याचिका में सरकार को निर्देशित करने की मांग की गई। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी कर दो सप्ताह में बताने को कहा है, कि अब तक समाधि का पुनर्निर्माण क्यों नहीं किया गया।