कंगना रनोट ने अपने मुंबई स्थित आवासीय दफ़्तर में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) की तोड़फोड़ की कार्रवाई के ख़िलाफ़ बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर फ़ैसला देते हुए उच्च न्यायालय ने इस कार्रवाई को दुर्भावनापूर्ण माना है। उच्च न्यायालय ने बीएमसी के नोटिसों को खारिज करते हुए एक्ट्रेस को मुआवज़ा दिलवाने के लिए नुक़सान का आंकलन करवाने के निर्देश भी दिये हैं।
बता दें, सितंबर में बीएमसी ने कंगना रनोट के मुंबई में पाली हिल स्थित ऑफिस में अवैध निर्माण के आरोपों को लेकर तोड़फोड़ की थी। उस वक्त कंगना मुंबई में नहीं थीं। इसके बाद कंगना ने मुंबई हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था कि बीएमसी आगे की कार्यवाही ना कर सके। बॉम्बे हाई कोर्ट ने बीएमसी की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।
27 नवम्बर को बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में अपना फ़ैसला सुनाया, जिसमें 7 और 9 सितम्बर को कंगना को भेजे गये नोटिस खारिज करते हुए कहा कि उनके दफ़्तर में बीएमसी का एक्शन दुर्भावनापूर्ण इरादे से किया गया था। हाई कोर्ट ने एक वैल्यूअर नियुक्त करने के लिए भी कहा है, जो अपनी रिपोर्ट जमा करेगा। इस रिपोर्ट के आधार पर उच्च न्यायालय कंगना के मुआवज़ा पर फ़ैसला देगा। साथ ही हाई कोर्ट ने एक्ट्रेस को सोशल मीडिया के ज़रिए दूसरे लोगों पर ग़ैरज़रूरी टिप्पणियां ना करने के निर्देश भी दिये।
बता दें, कंगना ने अपने दफ़्तर पर बीएमसी की कार्रवाई के बाद एक वीडियो जारी करके महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे को काफ़ी कुछ कहा था। हालांकि, उद्धव ठाकरे की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गयी थी। बॉम्बे हाई कोर्ट के इस फ़ैसले पर कंगना ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा- जब कोई सरकार के ख़िलाफ़ खड़ा होता है और जीतता है, तो यह उसकी अपनी जीत नहीं, बल्कि यह प्रजातंत्र की जीत है। उन सभी का शुक्रिया, जिन्होंने मुझे साहस दिया और उनका भी शुक्रिया, जो मेरा सपना टूटने पर हंसे थे। आप लोग विलेन बने, इसलिए मैं हीरो बन सकी।