विधानसभा के 23 सितंबर से शुरू होने वाले मानसून सत्र में वे ही विधायक भाग ले पाएंगे, जिनकी 72 घंटे पहले तक की कोराना जांच रिपोर्ट निगेटिव होगी। कोरोना संकट को देखते हुए इस बार सदन में अधिकारियों के साथ ही स्टाफ की संख्या भी सीमित रखी जाएगी। इस बीच सत्र की तैयारियों को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने बुधवार को विधानसभा में सभामंडप का निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने सत्र की तैयारियों पर संतुष्टि जताई। बाद में विधानसभा अध्यक्ष अग्रवाल ने बताया कि 65 वर्ष से अधिक आयु के विधायकों के अलावा अन्य विधायकों से भी आग्रह किया जाएगा कि वे वर्चुअल माध्यम से सदन की कार्यवाही में हिस्सा लें
विधानसभा में 70 निर्वाचित और एक मनोनीत विधायक हैं, लेेकिन उनके लिए सभामंडप में बैठने की व्यवस्था सीमित है। कोरोनाकाल में सुरक्षित शारीरिक दूरी के मानकों के हिसाब से व्यवस्था करने पर सभामंडप छोटा पड़ रहा है। इसे देखते हुए विधानसभा पिछले कई दिनों से तमाम विकल्पों पर मंथन में जुटी थी। इस बीच बुधवार को मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष के साथ सभामंडप का निरीक्षण करते हुए सदन में विधायकों के बैठने की व्यवस्था का जायजा लिया। साथ ही वर्चुअल माध्यम से जुडऩे वाले विधायकों के लिए की जा रही व्यवस्था का भी अवलोकन किया। उन्होंने सदन के भीतर साउंड सिस्टम समेत अन्य व्यवस्थाओं के संबंध में अधिकारियों को सुझाव भी दिए।
विधानसभा अध्यक्ष अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि सदन में प्रवेश करने से पहले सभी विधायकों को 72 घंटे पहले तक की कोराना जांच रिपोर्ट की प्रति विधानसभा को देनी होगी। जिन विधायकों की रिपोर्ट निगेटिव होगी, वे सदन की कार्यवाही में भाग ले सकेंगे। उन्होंने बताया कि विधानसभा में 12 विधायकों की आयु 65 वर्ष से अधिक है।
विधानसभा अध्यक्ष के अनुसार सभामंडप में सुरक्षित शारीरिक दूरी के मानकों के हिसाब से 47 विधायकों के बैठने की व्यवस्था है। इसे देखते हुए पत्रकार दीर्घा, दर्शक दीर्घा एवं अघिकारी दीर्घा में भी विधायकों के बैठने की व्यवस्था बनाई जा रही है। राज्यपाल दीर्घा में अधिकारियों के बैठने की व्यवस्था की जा रही है। विधायकों को प्रवेश द्वार से ही सदन तक तीन बार सेनिटाइज करने की व्यवस्था की जा रही है। सदन में प्रवेश करते ही विधायकों को मास्क, ग्लब्स एवं सैनिटाइजर उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट को देखते हुए सत्र चलाना किसी चुनौती से कम नहीं है, लेकिन सभी जरूरी बातों को ध्यान में रखकर सत्र को विधिवत आयोजित किया जाएगा। इसके लिए सभी सदस्यों से सहयोग मांगा गया है।