चीन की हरकतों को देखते हुए भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के आसपास सभी ‘रणनीतिक बिंदुओं’ पर सैनिकों और हथियारों की तैनाती बढ़ा दी है। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को बताया कि घुसपैठ की चीनी कोशिश को विफल करने के बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगे सभी क्षेत्रों में समग्र निगरानी तंत्र को और मजबूत किया गया है। शीर्ष सैन्य एवं रक्षा प्राधिकारियों ने पूर्वी लद्दाख में पूरी स्थिति की समीक्षा की है। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने ने ताजा टकराव को लेकर शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ एक बैठक भी की।
सूत्रों ने बताया कि वायुसेना से भी पूर्वी लद्दाख में एलएसी से लगे क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाने को कहा गया है। ऐसी रिपोर्ट है कि चीन ने उसके रणनीतिक रूप से अहम होतान एयरबेस पर लंबी दूरी के लड़ाकू विमान जे-20 और कुछ अन्य एसेट तैनात किए हैं। पिछले तीन महीने में, भारतीय वायुसेना ने अपने सभी प्रमुख लड़ाकू विमानों जैसे सुखोई-30 एमकेआइ, जगुआर और मिराज-2000 पूर्वी लद्दाख के प्रमुख सीमावर्ती एयरबेस और एलएसी के पास अन्य स्थानों पर तैनात किए हैं।
भारतीय वायुसेना ने चीन को परोक्ष तौर पर यह स्पष्ट संदेश देने के लिए पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में रात के समय हवाई गश्त की कि वह पहाड़ी क्षेत्र में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। वायुसेना ने पूर्वी लद्दाख में अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों के साथ-साथ विभिन्न अग्रिम मोर्चो पर सैनिकों को पहुंचाने के लिए चिनूक हैवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टरों को भी तैनात किया है।
भारत-चीन के बीच 15 जून को गलवन घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद यह पहली बड़ी घटना है जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। इस झड़प में चीन के सैनिक भी हताहत हुए थे, लेकिन चीन ने सार्वजनिक तौर पर नहीं बताया कि उसके कितने सैनिक हताहत हुए थे। हालांकि अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, इसमें चीन के 35 सैनिक मारे गए थे। भारत और चीन ने पिछले ढाई महीनों में कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक बातचीत की है, लेकिन पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध के समाधान के लिए कोई अहम प्रगति नहीं हुई।