पाप हो या पुण्य बदरीनाथ धाम के दर्शन करते ही सब हो जाते है परिवर्तित

कोरोना संक्रमण के चलते किए गए लाकडाउन के बाद भी बदरीनाथ धाम में यात्रियों की आवाजाही लगातार जारी है। मान्‍यता है कि बदरीनाथ धाम के दर्शन मात्र से ही लोगों के जन्म जन्मांतर के पाप पुण्य में परिवर्तित हो जाते हैं। कपाट खुलने से लेकर अभी तक धाम में 10578 यात्री दर्शन कर चुके हैं। हालांकि, यात्री सीमित संख्या में ही बदरीनाथ धाम पहुंचकर भगवान के दर्शन कर रहे हैं।

इस वर्ष 30 अप्रैल को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने थे। परंतु कोरोना संक्रमण के चलते कपाट खुलने की तिथि आगे खिसकाई गई और 15 मई को बदरी विशाल के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले गए। हालांकि, दर्शनों के लिए पहले सिर्फ चमोली और बाद में उत्तराखंड के सभी जनपदों के लोगों को अनुमति दी गई। कोरोना संक्रमण के बाद भी भगवान बदरी विशाल की यात्रा को लेकर लोगों में उत्साह भी दिखा। यही वजह है कि 29 अगस्‍त तक 10,578 श्रद्धालु नारायण के दर पर अपना माथा टेक चुके हैं।

क्या है महत्व

बदरीनाथ धाम को चारों धामों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। बदरी सदृशं तीर्थ न भूतो न भविष्यति। कहा गया है कि बदरीनाथ धाम के समान तीर्थ न भूतकाल में था और न भविष्य में होगा। बदरीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु की एक मीटर ऊंची शालिग्राम मूर्ति चतुर्भुज रूप में है। मान्यता के अनुसार आदि गुरु शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में नारदकुंड से निकालकर इस मूर्ति को मंदिर में विराजित किया था। बदरीनाथ मंदिर के निर्माण के प्रमाण सातवीं से नौवीं सदी के बीच के मिलते हैं। बदरीनाथ धाम समुद्र तल से 3133 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद है। यहां के पुजारी केरल प्रदेश के नंबूदरी पाद ब्राह्मण होते हैं।

कैसे पहुंचे बदरीनाथ धाम

बदरीनाथ धाम के दर्शनों के लिए उत्तराखंड में हरिद्वार या ऋषिकेश से वाहन सुविधा उपलब्ध है। ऋषिकेश से बदरीनाथ धाम तक वाहन से 296 किमी की दूरी तय कर पहुंचा जा सकता है। देहरादून से बदरीनाथ के लिए हेलीकाप्टर सुविधा भी यात्रा सीजन के दौरान उपलब्ध रहती है।

बदरीनाथ आए यात्रियों का ब्यौरा

  • वर्ष——-यात्री
  • 2017 – 884788
  • 2018 -1058490
  • 2019- 1240929
  • 2020 – 10578

क्या कहते धर्माधिकारी

भुवन चंद्र उनियाल (धर्माधिकारी बदरीनाथ धाम) का कहना है कि बदरीनाथ धाम को आठवां भू वैकुंठ धाम माना जाता है। इस धाम के दर्शन करने मात्र से ही लोगों के जन्म जन्मांतर के पाप पुण्य में परिवर्तित हो जाते हैं। कोरोना संक्रमण के बाद भी बदरीनाथ धाम में यात्रियों की लगातार आवाजाही हो रही है। विकट परिस्थितियों, बारिश से सड़क मार्ग बार बार अवरुद्ध होने के बाद भी यात्री धाम में आकर भगवान के दर्शन कर रहे हैं।

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