जम्मू, कश्मीर में पिछले तीन दशकों में आतंकवादी हमलों में मारे गए कश्मीरी पंडितों की याद में जम्मू तवी नदी के किनारे बड़ा बलिदान स्मारक बनाने की कार्रवाई शुरू हो गई है। यह स्मारक प्रदेश में समाज द्वारा बनाए जाने वाला सबसे बड़ा स्मारक होगा।
शहर में सेना द्वारा बनाए गए बलिदान स्तंभ की तर्ज पर शहीद कश्मीरी पंडित शहीदों की याद में बनने वाले इस स्मारक पर उन सभी कश्मीरी पंडितों के नाम लिखे जाएंगे जिन्होंने आतंकवादी हमलों में जान दी। जम्मू के थलवाल में तवी नदी के किनारे भलवाल इलाके में माता भद्रकाली ट्रस्ट ने बलिदान स्मारक बनाने के लिए नींव पत्थर रखने के साथ ही निमार्ण कार्य शुरू हो गया है।
बलिदान स्मारक के लिए ली गई तीन एकड़ जमीन में एक म्यूजियम और लाइब्रेरी ही बनाई जाएगी। इनमें कश्मीरी पंडितों के पुराने धार्मिक ग्रंथ, किताबें, पेंटिंग व अन्य विरासत संबंधित साजो सामान भी सहेज कर रखा जाएगा। ट्रस्ट के प्रधान दिलीप पंडिता ने नींव नहीं पत्थर रखने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि वर्ष 1990 में कश्मीर में आतंकवादी हमलों में मारे गए कश्मीरी पंडितों के साथ इस स्मारक पर उन कश्मीरी पंडित शहीदों के नाम भी होंगे जिन्होंने वर्ष 1947 के बाद भारत पाकिस्तान युद्ध में प्राणों की आहुति दी।
वहीं नींव पत्थर रखने के कार्यक्रम में मौजूद भाजपा क पूर्व एमएलसी अजय भारती ने कहा कि तवी नदी के किनारे बनने वाला स्मारक कश्मीरी हिंदुओं के लिए राजघाट होगा। इससे कश्मीरी पंडितों की शहादत को आने वाली पीढ़ियों को बताया जाएगा। वहीं ट्रस्ट के सदस्य राजीव पंडित ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों वर्ष 1990 से आतंकवादियों का के निशाने पर हैं।
वंधामा, संग्राम पोरा, छठीसिंहपोरा, नाडीमर्ग नरसंहारों के शहीदों के नाम भी होंगे। इस मौके पर मौजूद सुषमा छल्ला ने बताया कि उनके पिता कश्मीर में वर्ष 1990 में आतंकवादियों के हमले में शहीद हुए थे। पिता चुन्गलाल छल्ला पुलिस के अधिकारी थे। उन्होंने कहा कि इस स्मारक के जरिए कश्मीरी पंडितों की शहादत को आने वाली पीढ़ियों के लिए सहेजा जाएगा।
वहीं प्रोजेक्ट के प्रभारी राज कुमार ने बनाया गुंबद के नीचे संगमरमर की बड़ी दिवारें बनाई जाएंगी। इन दिवारों पर कश्मीरी पंडित शहीदों के नाम लिखे जाएंगे।