रुड़की। सरकार उत्तराखंड में ऑक्सीजन को लेकर चाहे जो दावे कर रही हो, लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। रुड़की के एक निजी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के चलते कोरोना से संक्रमित पांच मरीजों की मौत हो गई। अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि उन्होंने रुड़की की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को रात दस बजे ही इस संकट की जानकारी दे दी थी। रुड़की की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नमामि बंसल ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन ने एक संदेश भेजा था। इसके बाद रात को ही ऑक्सीजन की व्यवस्था कर दी गई। अस्पताल प्रबंधन को सेंट्रल सिस्टम के साथ ही वैकल्पिक व्यवस्था भी रखनी चाहिए थी। उधर, हरिद्वार के जिलाधिकारी सी रविशंकर ने घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं। दूसरी ओर सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि इस प्रकरण की जांच कराई जाएगी। जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
विनय विशाल हेल्थ केयर हॉस्पिटल में 70 बेड हैं। इनमें से 50 पर सेंट्रल सिस्टम और 20 पर सिलिंडर से ऑक्सीजन दी जा रही है। यहां कोरोना से संक्रमित मरीज ही भर्ती हैं। एक युवक ने बताया कि उसकी मां का इलाज चल रहा था। रात डेढ़ बजे एकाएक मां को सांस लेने में समस्या होने लगी। कमरे में मौजूद तीन अन्य मरीजों की भी यही स्थिति थी। इस पर वह अस्पताल के स्टाफ को बुलाने गैलरी में आए तो वहां भगदड़ जैसे हालात थे। स्टाफ से पता चला कि ऑक्सीजन खत्म हो गई है।
स्टाफ ने उनसे फ्लोमीटर का इंतजाम करने को कहा, ताकि सिलिंडर से ऑक्सीजन दी जा सके, लेकिन रात को फ्लोमीटर कहां मिलता। युवक ने बताया कि उसने डॉक्टर और स्टाफ से गुहार लगाई। अन्य मरीजों के तीमारदारों की भी यही हालत थी। करीब बीस मिनट की अफरातफरी के बाद ऑक्सीजन फिर से चालू हो गई, लेकिन तब तक महिला समेत पांच मरीज दम तोड़ चुके थे।
प्रशासन को समय पर दी थी सूचना: डॉ. विशाल
विनय विशाल हेल्थ केयर हॉस्पिटल के संचालक डा. विशाल घई ने बताया कि अस्पताल की ओर से रात दस बजे ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नमामि बंसल व नोडल अधिकारी पल्लवी गुप्ता को सूचना दे दी गई थी कि उनके यहां तीन से चार घंटे के लिए ही ऑक्सीजन शेष है, लेकिन प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया। समय से ऑक्सीजन नहीं आई। इसके चलते पांच मरीजों की जान चली गई।
अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही: नमामि बंसल, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट
विनय विशाल हेल्थ केयर हॉस्पिटल में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से पांच मरीजों की मौत हुई है। प्रबंधन की ओर ऑक्सीजन खत्म होने की सूचना समय पर नहीं दी गई। जिन मरीजों की जान गई, उनमें से एक वेंटिलेटर और चार ऑक्सीजन बेड पर थे। जिलाधिकारी हरिद्वार को इस संबंध में पूरी रिपोर्ट दी जा रही है। अस्पताल प्रबंधन को वैकल्पिक व्यवस्था भी रखनी चाहिए थी।