सुप्रीम कोर्ट ने कहा- CBI जांच के मामले में राज्य सरकार से अनुमति लेना जरूरी है

हम जैसा सोचते हैं, वही और वैसी ही नहीं होती जिंदगी। आपदा काल में जो हम देख रहे हैं, यह इसी बात की तसदीक करती है। इसलिए हमें सामने आने वाली हर अच्‍छी-बुरी परिस्थिति को स्‍वीकार करना है और इकिगाई यानी अपने जीवन मूल्‍य को समझना है। पर क्‍या है इकिगाई और इस अनुसार कैसी हो हमारी दिनचर्या, क्‍या करें? बता रहे हैं जाने-माने मोटिवेशनल स्‍पीकर अमित कासलीवाल…

जीवन की खूबसूरती है अनिश्चितता यानी हमें नहीं पता कि जिंदगी में अगले ही पल कौन-सी घटना घटने वाली है। इस पूरी तरह अज्ञात स्थिति में भी जीवन को जीना अपने आप में अद्भुत है। गौर करें, यदि यह हमारे साथ क्‍या होने वाला है यह जान गए, तो जीवन का वास्‍तविक अर्थ नहीं रह जाएगा।

पर यही तो है सबसे बड़ी मुश्किल। जीवन में सब जान लेने की उत्‍सुकता हमें सबसे अधिक परेशान रखती है। हम बस बैठते हैं और सोचने लगते हैं कि जाने आगे क्‍या होगा, कैसा होगा, हमारे अनुकूल होगा या नहीं। यही चिंता हमें अपने इस पल से नहीं जुड़ने देती। हमारा वर्तमान हमसे ओझल रहता है, जिसमें हमारे भविष्‍य को सुंदर बनाने की अनंत संभावनाएं छिपी हैं।

याद रखें, हमारे आसपास जो कुछ बदल रहा है, उसमें से आप कुछ पकड़ नहीं सकते। पल-पल बदलता जीवन हमारे हाथ नहीं पर आप बच्‍चों की तरह उन्‍मुक्‍त भाव से जीवन को देख सकते हैं। अपने भीतर बालमन की उमंग जगा सकते हैं। बच्‍चों के पुलक को देखिए जो कभी तारों को निहारते हुए मन में अचरज भरते हैं तो कभी फूलों-पंछियों को देखकरआह्लादित हो जाते हैं।

बच्‍चे दरअसल, जीवन की अनिश्चितता से प्‍यार करते हैं और जो कुछ सामने है उसका आनंद लेते हैं। हवा के साथ बहते हैं। सूरज के प्रकाश को अपने भीतर समाहित करते हैं। बारिश में भीगते हैं, नाचते हैं। उन्‍हें जीवन के इन गुजरते पलों पर पूरा भरोसा होता है। यकीनन, जीने का यह तरीका बेहद शानदार है। इसी में छिपा है बेहतरीन कल के निर्माण का मूलमंत्र। पर बेहतर कल के लिए आपको समझना होगा ‘इकिगाई’ यानी अपने जीवन का मूल्‍य। इसके बाद आप सीख जाएंगे जिंदगी का साथ निभाने की सुंदर कला।

अनुभव ही नहीं है जिंदगी

जापान के ओकिनावा आइलैंड पर रहने वाले लोग औसतन सौ साल तक जीते हैं। यहां इससे ज्‍यादा उम्र तक के लोग भी मिल जाएंगे। यह दुनिया के मनोविज्ञानियों और समाजविज्ञानियों के लिए बड़ा शोध और कौतूहल का विषय है। आज की अंधाधुंध प्रतियोगी दौड़ में जहां चिंता और तनाव जीवन को दांव पर लगा रहा है, वहां सेहत मुख्‍य चिंता बनी हुई है। ऐसे समय में ओकिनावा निवासी हमें बड़ी सीख दे सकते हैं। वे बताते हैं कि कैसे हमें अनिश्चितता को गले लगाकर जीवन को एक प्रयोग की तरह जीना है।

वे बताते हैं कि केवल हमारे अनुभव ही जिंदगी नहीं है। हमें अपने अनुभवों को जीवन न मानकर जीवन को इससे ऊपर की चीज माननी चाहिए। दरअसल, साल 2019 में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हेक्‍टर गार्सिया और लेखक फ्रांसिस मि‍रालेस ने ओकीनावा के ओगिमी गांव के शतायुओं पर एक सर्वेक्षण किया। अपनी किताब ’इकिगाई-द जैपनीज सीक्रेट टू अ लांग एंड हैप्‍पी लाइफ’ में उनके अनुभवों को विस्‍तार से बताया गया है। यह किताब लंबी और आरामदायक जिंदगी (जिसमें चिंता का स्‍थान हो पर वह आप पर हावी न हो सके) की दिशा में शानदार चिंतन करती है।

क्‍या है ‘इकिगाई’

यह जापानी भाषा का शब्‍द है। इसका अर्थ है-जीवन का मूल्‍य। इकि-जीवन, गाई यानी मूल्‍य या कीमत। जापानी संस्‍कृति में इसे अलग रूप में देखा जाता है यानी आपका इकिगाई क्‍या है, आपके जीवन का मूल्‍य और इस जीवन को जीने की वजह क्‍या है? यह आपको तय करना है।

पर जीने की वजह आप तब तय कर पाएंगे जब आप जानेंगे कि आप जीवित क्‍यों हैं? आप अच्छी कमाई, महंगी गाड़ी, बड़ा आलीशान घर और हरदम खुशी के पीछे दौड़ लगाते हुए जीना चाहते हैं? या सुकून और मन को जिस चीज को हासिल कर तसल्‍ली मिलती है, आपके लिए वह सर्वोपरि है? यह आपको तय करना है। आपका इकिगाई आपके हाथ है।

हर दिन ध्‍यान रखें ये बातें

-अपने मन और शरीर को आदर दें। तनाव इसे चुपके से खोखला बना रहा है। आपको पहले से अलग और कल जो आप बेहतरीन बन सकते हैं, वैसा बनने में सबसे बड़ी बाधा हैं।

-हर चीज किसी न किसी जिज्ञासा सवाल से जुड़ी है। समस्‍या के साथ समाधान हमेशा साथ आता है। आप तलाशेंगे तो आपको उचित जवाब मिलेगा।

-अपने बहाव की यानी जिसे करने में आपको आनंद आता है, उसे खोजें। ऐसी चीज जो आपको वर्तमान से पूरी तरह जोड़े रखता है, उसे तलाशें।

-जिसमें आप दक्ष हैं, उन्‍हें और निखारने में जुट जाएं। अपनी क्षमता को पूरी तरह से उसमें झोंक दें यानी शत-प्रतिशत देने का संकल्‍प लें।

-परिवार, समुदाय और दोस्‍त अनदेखे तो नहीं हो रहे, इसका ध्‍यान रखें। वही आपके संकटकाल में साथ रहने वाले हैं और खुशी में आपके साथ उत्‍सव मनाने वाले हैं, इसलिए उनका पूरा ध्‍यान रखें।

-खानपान में पूरी सजगता बरतें। जो नुकसान करे उन चीजों से दूर रहें। फल और सब्‍जी अपने डाइट में शामिल करें।

-क्‍या खामियों की भी खूबसूरती होती है? जवाब है हां। यही वह चीज है जो आपको अपने लचीलेपन और आगे बढ़ते जाने की क्षमता से पहचान कराती है। इसलिए कमजोरियों, गलतियों को नजरअंदाज न करें। उनके कारण ही आप बेहतरीन बनने के लिए प्र‍ेरित होते हैं।

खास बातें

‘इकिगाई’ किताब में ओकिनावा के रहने वाले शतायुओं के साक्षात्‍कार प्रकाशित हुए हैं। उनके कुछ कथन महान मंत्र देते हैं जिंदगी का। ऐसा हम भी सोचें तो जीवन मूल्य को समझना और अपने जीवन को गले लगाना आसान होता जाएगा :

-‘जीवन के प्रति प्‍यार भी रहना चाहिए और प्‍यास भी’।

-‘बुरा देखता हूं, सुनता हूं और महसूस करता हूं लेकिन मेरी जिंदगी में सब अच्‍छा है।‘

-‘मैं अपने मन और शरीर को व्‍यस्‍त रखता हूं’।

तब मिट जाएगा अनिश्चितता का भय

हर चीज में अस्‍थायित्‍व को देखें यानी कुछ भी स्‍थायी नहीं है, यह समझ विकसित करना है हमें। ध्‍यान दें, आपकी अनुभूतियां भी स्‍थायी नहीं। चीजें आती हैं और जाती हैं। भावनायें बदलती हैं, व्यवहार बदलता है और सब कुछ बदलता है । इस समझ से बल मिलेगा और फिर अनिश्‍चितता का भय भी मिट जायेगा।

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