चीनी सेना की ओर से माइक्रोवेव हथियारों के इस्तेमाल के दावे को भारतीय सेना ने नकारा

भारत ने मंगलवार को लद्दाख में चीन की सेना द्वारा भारतीय सैनिकों पर माइक्रोवेव हथियारों के इस्तेमाल किए जाने के दावे को खारिज कर दिया। यह दावा एक चीनी प्रोफेसर ने किया था। प्रोफेसर के दावे के अनुसार लद्दाख में भारतीय सेना के कब्जे वाली चोटियों को खाली कराने के लिए चीनी सेना ने इन हथियारों का इस्तेमाल किया था। भारतीय अधिकारियों के अनुसार, बीजिंग के प्रोफेसर की बात का हवाला देते हुए चीन माइक्रोवेव हथियारों का उपयोग करने को लेकर ‘फर्जी खबर’ फैला रहा है।

वाशिंगटन के एग्जामिनर के अनुसार, बीजिंग स्थित प्रोफेसर ने दावा किया कि चीनी बलों ने हथियार इस्तेमाल न करने के दशकों पुराने समझौते का सम्मान करते हुए लड़ने के लिए इन हथियारों का इस्तेमाल किया था। यूके के एक अखबार के अनुसार चीन की रेनमिन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के एसोसिएट डीन जिन केनरांग ने दावा किया था कि भारतीय सैनिकों द्वारा कब्जे में ली गई दोनों चोटियां सामरिक दृष्टि से काफी अहम थीं। फायरिंग न करने के आदेश के कारण सैनिकों ने माइक्रोवेव हथियों का इस्तेमाल करते हुए चोटियों पर हमला किया। इससे यहां माइक्रोवेव ओवन जैसी स्थिति बन गई और भारतीय सैनिकों को परेशानी होने लगी और वे भाग गए।

जिन केनरांग ने कहा, ’15 मिनट में, पहाड़ी पर कब्जा जमाए बैठे भारतीय सैनिकों को उल्टी होने लगी। उन्हें खड़ा होने में भी दिक्कत हो रही थी। इसलिए वे भाग गए। इसी तरह हमने यहां अपना कब्जा जमाया। प्रोफेसर ने दावा किया कि हमला 29 अगस्त को हुआ था, लेकिन भारतीय अधिकारी ने कहा कि ऐसा कभी नहीं हुआ। अगर उन्होंने वहां कब्जा कर लिया है, तो चीन अभी भी भारत को इन ऊंचाइयों से हटने के लिए क्यों कह रहा है? हमारे सैनिक, टैंक और उपकरण अभी भी वहां हैं, और हम ऊंचाइयों से नीचे नहीं आए हैं।

भारतीय अधिकारियों ने सितंबर की शुरुआत में कहा था कि चीनी बलों ने 29 अगस्त को ‘भड़काऊ’ कदम उठाया था। उस समय चीनी अधिकारियों ने स्वीकार किया था कि यह क्षेत्र भारत के नियंत्रण में है।

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